श्री सच्चिदानंद शंकर भारती वेद भवन
वाराणसी (काशी)
एक समय मे काशी नगर की गली-2 मे गुरुकुल हुआ करते थे, परंतु विगत 50 वर्षों में सभी पुराने गुरुकुल सरकार के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अथवा संस्कृत विश्वविद्यालयों से संबद्ध हो चुके हैं और इनमे मैकाले पद्धति वाला सरकारी पाठ्यक्रम लागू हो चुका है। इस कारण से काशी में जो पारंपरिक वैदिक शिक्षा होती थी, वह अब लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। इन सरकारी संबद्ध विद्यालयों मे छात्र शास्त्री, आचार्य इत्यादि डिग्री तो प्राप्त कर लेते हैं किन्तु उन छात्रों मे पारंपरिक अध्ययन प्रणाली से गुरुकुलों मे पढे हुए छात्रों की भांति समग्रता एवं विद्वत्ता नही होती है| सरकारी पाठ्यक्रम मे परंपरा को महत्व नहीं दिया गया है, फलस्वरूप पारंपरिक विद्वानों की संख्या कम होती जा रही है| इस समस्या के समाधान हेतु 6 वेदांग, श्रौत और धर्मशास्त्र के साथ वेद के तीनों कांडो का समग्र अध्ययन कराने वाले एक पारंपरिक गुरुकुल को काशी के मणिकर्णिका घाट के निकट आरंभ किया है।
इस गुरुकुल को 68वे पीठधिपति श्री सच्चिदानन्द शंकर भारती जी की स्मृति मे सच्चिदानन्द शंकर भारती वेद भवन नाम दिया गया है| वर्तमान में इस वेद भवन में 20 छात्र और तीन अध्यापक हैं। यहां छात्रों के लिए आवास और शिक्षा दोनों पूरी तरह से निशुल्क है। इस गुरुकुल में हर कोई केवल संस्कृत संभाषण होता है। वैदिक अध्ययन के अतिरिक्त, छात्र दैनिक अग्निहोत्र और श्रौत, यज्ञ जैसी प्रायोगिक गतिविधियों में भी सम्मिलित होते हैं।