श्री विद्याभिनव वालुकेश्वर भारती गुरुकुल
कुडली, शिवमोग्गा
67 वें पीठाधिपति एवं मूर्धन्य विद्वान के रूप मे प्रख्यात श्री विद्या अभिनव वालुकेश्वर स्वामी जी की स्मृति में 2023 में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर इस वैदिक गुरुकुल का उद्घाटन किया गया। स्वामी जी अपने पूर्व आश्रम में हानगल विरूपाक्ष शास्त्री के रूप में प्रसिद्ध थे एवां मैसूर के महाराजा एवं डी.वी. गुंडप्पा (डीवीजी) और देवडू नरसिंह शास्त्री जैसे कई विख्यात लोगो को शास्त्र अध्यापन किया था| इनके अतिरिक्त शृंगेरी के शंकरचार्य एवं महान तपस्वी के रूप मे विख्यात श्री चंद्रशेखर भारती, और होलेनरसिपुरा के श्री सच्चिदानंद सरस्वती जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी शास्त्र सिखाया था। उनकी स्मृति में, सभी चार वेदों, छह वेदांगों, छह शास्त्रों आदि अठारह विद्याओं के अध्ययन हेतु सभी शाखाओ से युक्त एक वैदिक गुरुकुल प्रारम्भ हुआ है। वर्तमान मे 2 वेद चल रहे हैं| अन्य वेद एवं बाकी के विद्याओं को भी जोड़कर निकट भविष्य मे इसे वृहद स्वरूप देने की योजना है|
छह वेदांगों एवं उपनिषदों के साथ वैदिक संहिताओं, ब्राह्मणों और आरण्यकों के उच्चारण की प्राचीन प्रथा धीरे-धीरे कम होती जा रही है। मौखिक पठन की पारंपरिक विधि लुप्त होती जा रही है। इस गुरुकुल का उद्देश्य केवल कर्मकांडों के लिए आवश्यक कुछ आवश्यक मंत्र सिखाने तक सीमित नहीं है।
केवल अनुष्ठानों के लिए मंत्रों को सिखाने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, गुरुकुल का दृष्टिकोण भविष्य के वैदिक विद्वानों को प्रशिक्षित करना और एक ऐसे युवा को पोषित करना है जो वर्तमान समय के लिए बहुत आवश्यक सांस्कृतिक मार्गदर्शन प्रदान कर सके।
यहां की शिक्षा पूर्णतय: निःशुल्क एवं समाज पोषितहै। सरकार की ओर से कोई भी आर्थिकसहायता नहीं लेने का संकल्पहै । एक वेद और उस के छःअंगोंका अध्ययन करने में लगभग 12 वर्ष लगते हैं । जो लोग गुरुकुल में इतना समय नहीं बितासकते, उनके लिए आवश्यक मंत्रभाग और संस्कृत सीखने के लिए दोवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी उपलब्धहै।
6 वर्षों के भीतर न्याय आदि जैसे किसी भी शास्त्र का अध्ययन करना भी संभवहै। गुरुकुल के छात्र पास के स्कूल, कॉलेज या एनआईओ एस की परीक्षा दे सकते हैं और प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।